चंडीगढ़ में मेयर का पद प्रशासक और उनके सलाहकार के बाद तीसरे स्थान पर

चंडीगढ़ में मेयर का पद प्रशासक और उनके सलाहकार के बाद तीसरे स्थान पर

चंडीगढ़ में मेयर का पद प्रशासक और उनके सलाहकार के बाद तीसरे स्थान पर

चंडीगढ़ में मेयर का पद प्रशासक और उनके सलाहकार के बाद तीसरे स्थान पर

चंडीगढ़ - ऐसा पढ़ने में भले ही आश्चर्यजनक प्रतीत हो परन्तु नगर निगम मेयर (महापौर) , जिन्हें  परंपरागत तौर पर शहर का प्रथम नागरिक/ निवासी ( फर्स्ट सिटीजन) और सिटी फादर (नगर पिता) के नाम से भी सम्बोधित किया जाता है (हालांकि भारतीय संविधान में ऐसा कोई  उल्लेख नहीं है) उनके सम्बन्ध में  हरियाणा सरकार  की राजकीय  प्रोटोकॉल सूची (आर्डर ऑफ़ प्रीसीडेन्स) में उपयुक्त स्थान देने बारे  स्पष्ट उल्लेख ही नहीं है.  

वर्तमान में  प्रदेश के  10  नगर निगमों में से 8 नगर निगमों के मेयर सत्ताधारी भाजपा के हैं. वर्ष 2018 में हरियाणा विधानसभा द्वारा नगर निगम मेयर के प्रत्यक्ष निर्वाचन बारे कानूनी प्रावधान किया गया था जिसके बाद आज तक  कुल 8 मेयर सीधे स्थानीय मतदाताओं द्वारा  चुने गए हैं जिनमे से 6 भाजपा के हैं जिनमें सीएम सिटी करनाल की महिला मेयर रेणु बाला गुप्ता भी शामिल हैं.  इसके अतिरिक्त फरीदाबाद और गुरग्राम नगर निगमों में वर्ष 2017 में अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित दोनों महिला मेयर भी भाजपा से हैं.  

 दिसंबर, 2020 में  गुरुग्राम ज़िले के अंतर्गत पड़ने वाले  मानेसर  को प्रदेश का  11 वां नगर निगम घोषित किया गया  था हालांकि आज तक वहां पहले आम चुनाव नहीं करवाए गए है.

बहरहाल, इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने हरियाणा सरकार और प्रदेश के  शहरी स्थानीय निकाय मंत्री डॉ. कमल गुप्ता को लिखकर आह्वान किया है  कि जिस प्रकार पड़ोसी पंजाब सरकार  द्वारा  दो वर्ष पूर्व  21 जनवरी 2020 को  राज्य में   तत्कालीन लागू  प्रोटोकॉल  सूची को  पूर्णतया संशोधित  कर उसे नए सिरे से   जारी किया गया था  जिसमें  राज्य के नगर निगमों के मेयरों को ज़िले के डीसी (उपायुक्त ), पुलिस रेंज के डी.आई.जी.( पुलिस उप महानिरीक्षक ), ज़िलों के कमिश्नर ऑफ़ पुलिस एवं एसएसपी से ऊपर किया गया है, वैसा हरियाणा में भी किया जाना चाहिए. इसके अलावा यूटी  चंडीगढ़ में भी नगर निगम मेयर का पद प्रोटोकॉल में प्रशासक और उनके सलाहकार के बाद तीसरे स्थान पर  आता है.

हेमंत ने बताया कि हालांकि हरियाणा सरकार में  वर्तमान लागू प्रोटोकॉल वरीयता सूची, जो 25 मई 2000 को  तत्कालीन चौटाला सरकार दौरान जारी की गयी थी उसमें विभिन्न संवैधानिक पदों और वैधानिक (कानूनी ) और उच्च आधिकारिक  पदों  पर आसीन पदाधिकारियों  के  बाद  नीचे  दिए गए एक नोट में  गैर-सरकारी व्यक्तियों  में  विश्वविद्यालयों के कुलपति और सरकारी बोर्डों/निगमों के चेयरमैन और सदस्यों के साथ ही लोकल बॉडीज के चेयरमैन (स्थानीय निकायों  के अध्यक्ष ) को जोड़ा अवश्य  गया है एवं ऐसा उल्लेख किया गया है कि उन्हें उनके सामान्य स्थिति  के अनुकूल ऊंचा और कई बार अधिक श्रऊंचा स्थान प्रदान किया जाए.  परन्तु चूँकि उसमें मेयर के पद को एक   स्पष्ट  स्थान देने बारे  स्पष्ट उल्लेख  नहीं है, जिस कारण आज तक इस विषय पर भ्रम की स्थिति व्याप्त  है. अत: इसमें  तत्काल संशोधन कर मेयर  के पद को को  उपयुक्त स्थान प्रदान किया जाना चाहिए.  ध्यान  रहे कि उक्त प्रोटोकॉल वरीयता सूची  की अनुपालना केवल राजकीय समारोहों जैसे गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस आदि में ही  करने का निर्देश है, राज्य सरकार के दैनिक कार्यो-कलापो के दौरान नहीं.    
 
 डेढ़ वर्ष  वर्ष पूर्व 13 जुलाई 2020  को हरियाणा सरकार द्वारा प्रदेश की प्रोटोकॉल वरीयता सूची में संशोधन कर राज्य  के उपमुख्यमंत्री (दुष्यंत चौटाला) का पद  विधानसभा स्पीकर और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से ऊपर किया गया था. उससे पहले 14 मार्च 2017 को इसी प्रकार संशोधन द्वारा  विधानसभा में सरकार के मुख्य सचेतक (वर्तमान विधानसभा स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता तब इस पद पर थे ) का पद  हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर, राज्य मंत्रियों आदि के स्थान के साथ ही शामिल किया गया था.